S&P रेटिंग में भी अडानी अब उच्च कर्ज पर

BY- FIRE TIMES TEAM

एक अन्य रेटिंग एजेंसी ने अडानी समूह के उच्च ऋण के खिलाफ सवाल उठाए हैं। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने गुरुवार को कहा कि एशिया के सबसे अमीर अरबपति गौतम अडानी के समूह, जो अधिग्रहण पर विकसित हुए हैं, के पास काफी ठोस बुनियादी ढांचा है, लेकिन कर्ज के जरिए कंपनियों के अधिग्रहण के चलते इसकी रेटिंग पर नेगेटिव असर दिखना शुरू हो सकता है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर (इंफ्रा रेटिंग्स) अभिषेक डांगरा यह कहा, “अडाणी ग्रुप की रेटेड कंपनियों जैसे कि अडानी पोर्ट्स की बात करें तो इसका बिजनेस फंडामेंटल बहुत मजबूत है। पोर्ट बिजनेस हेल्दी कैश फ्लो जेनेरेट कर रहा है। ऐसे में अडानी पोर्ट्स के सामने सबसे अधिक रिस्क अधिग्रहण को लेकर है। इसने कुछ ऐसे अधिग्रहण किए हैं जिसके लिए फंडिंग कर्ज से हुई है।”

अभिषेक डांगरा ने एक वेबिनार में कहा, हाल के कुछ अधिग्रहण जो हम देख रहे हैं, वे काफी हद तक कर्ज से वित्त पोषित हैं और यह नेगेटिव असर डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में कोई भी अधिग्रहण जो समूह मौजूदा गति से करता है, उसकी रेटिंग पर दबाव डालना शुरू कर सकता है।

अडानी समूह ने हाल ही में होल्सिम की भारतीय इकाइयों (एसीसी और अंबुजा सीमेंट) के 10.5 बिलियन अमरीकी डालर के अधिग्रहण के साथ सीमेंट क्षेत्र में कदम रखा, और ओडिशा में एक 4.1 एमटीपीए एकीकृत एल्यूमिना रिफाइनरी और 30 एमटीपीए लौह अयस्क बेनीफिकेशन फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसकी लागत 58,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है।

इस विस्तार का अधिकांश भाग कर्ज लेकर वित्त पोषित किया गया है। समूह का कुल कर्ज वित्त वर्ष 2011-22 के अंत में 2.22 लाख करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो एक साल पहले 1.57 लाख करोड़ रुपये से 42 प्रतिशत अधिक था।

डांगरा ने कहा, “वर्तमान में हम देखते हैं कि अगर समूह विकास की महत्वाकांक्षाओं या फंडिंग का प्रबंधन करता है तो जोखिमों का प्रबंधन किया जा सकता है।”

कुछ दिनों पहले फिच ग्रुप की एक इकाई क्रेडिटसाइट्स ने अडाणी ग्रुप की कंपनियों पर भारी कर्ज को लेकर चिंता जताई कि बुरी परिस्थितियों में यह कर्ज के जाल में फंस सकती है और दिवालिया भी हो सकती है। जिस दिन यह रिपोर्ट जारी हुई, उसी दिन अडाणी ग्रुप द्वारा एनडीटीवी में अप्रत्यक्ष तरीके से 29.18 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण और अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सेदारी ओपन ऑफर के जरिए खरीदने की बात सामने आई।

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