1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद 2020 में ऐसी घटना हुई है जब चीन ने हमारे 20 सैनिकों को मार दिया है। न्यूज़ एजेंसी सूत्रों के हवाले से खबर लिख रही हैं। सरकार शहीद हुए सैनिकों के नाम भी सार्वजनिक करने में देर कर रही है।
भारत-चीन सीमा पर युद्ध की स्थिति बनी हुई है। चीन अपना रुख आक्रामक किये हुए है और लगातर सीमा पर गतिरोध उत्पन्न करने की कोशिश कर रहा है। इस स्थिति के बाद लोग सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने फेसबक पोस्ट के माध्यम से सरकार से कई सवाल किए हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा-
कम से कम अभी तक शहीद जवानों के नाम और तस्वीरें साझा होनी चाहिए थी। देरी हो रही है। क्यों देरी हुई पता नहीं। फ़िल्म अभिनेता की मौत पर ट्विट करने वाले प्रधानमंत्री चुप हैं। शायद उनके समर्थक बताने में लगे होंगे कि कोई बात नहीं, अभी कोई चुनाव होगा आप ही जीतेंगे। जवाब मिल जाएगा। लेकिन शहादत को सलाम करने में देरी कैसी?
यही नहीं पूरा दिन बीत गया संख्या बताने में। रक्षा कवर करने वाले पत्रकारों ने उसी वक्त संख्या को लेकर ट्विट करना शुरू कर दिया था मगर सरकारी बयान में संख्या तीन ही रही। रात दस बजे तक। यही नहीं आधिकारिक तौर पर उनके नाम नहीं बताए गए। ख़ैर यह बात चटखारे के लिए नहीं है। यह बात है कि हम कब हालात की संवेदनशीलता को समझेंगे। कब तक सूत्रों के सहारे से खबरों को प्लांट कर तीर मारा जाएगा। इससे आप चुनाव जीत सकते हैं । सच्चाई को हरा नहीं सकते।
Sushant Singh Rajput…a bright young actor gone too soon. He excelled on TV and in films. His rise in the world of entertainment inspired many and he leaves behind several memorable performances. Shocked by his passing away. My thoughts are with his family and fans. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 14, 2020
सतीश आचार्य का यह कार्टून उचित ही पूछ रहा है। आप बनने को तो हर चीज़ बन जाते हैं, प्रधानमंत्री कब बनेंगे। मीडिया मैनेजमेंट और तमाशे से कूटनीति में टी आर पी का जोश आता है , झूला झूलने से भव्यता आती होगी, कूटनीति इससे तय नहीं होती।
प्रधानमंत्री को जनता ने दो वरदान दिए हैं। एक चुनाव में विजय और दूसरा पराजित और दंडवत् मीडिया। स्वीकार करें प्रधानमंत्री जी। कोई इवेंट की योजना बन रही हो तब तो कोई बात नहीं। उसके तमाशे में ऐसे सवाल धूल बन कर उड़ जाएँगे। बैंड बाजा बारात आपके पास है तो तमाशा करने की कला भी आपके ही पास होगी।
आई टी सेल शहादत के सम्मान में जुटा होता तो आज पूछ रहा होता कि शहीदों के नाम क्या हैं ? उनकी संख्या क्या है? सीमा पर चीनी सैनिकों का जमघट बनने कैसे दिया गया? लेकिन इस सवालों की कोई क़ीमत नहीं है। मुझे यक़ीन है कि लोग राहुल गांधी पर ग़ुस्सा निकाल रहे होंगे, जो कोरोना की तरह इस बार भी चीन को लेकर अपना सर ओखली में डाल पूछ रहे थे।
देश झूला नहीं है। प्रधानमंत्री जी। कोविड -19 से लड़ने की हमारी तैयारियाँ फुस्स हो चुकी हैं फिर भी आप कह रहे हैं कि हमारी तैयारियों का अध्ययन किया जाएगा। ऐसा आत्म विश्वास अच्छी यूनिवर्सिटी बनाने, अस्पताल बनाने और रोज़गार पैदा करने में होता तो क्या ही बात थी। लेकिन इसमें आपकी गलती नहीं है। राहुल गांधी की है।