BY- FIRE TIMES TEAM
NCRB के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, 2017-2019 तक तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में 255 लोगों की मौत हुई, लेकिन इन मामलों में केवल तीन पुलिस कर्मियों को दोषी ठहराया गया और सिर्फ तीन पुलिस कर्मियों के ऊपर करवाई हुई।
हाल ही में जारी 2019 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में विभिन्न पुलिस विभागों के खिलाफ मानव अधिकारों के उल्लंघन के 49 मामले दर्ज किए गए, जिनमें मुठभेड़ हत्या, हिरासत में मौत, अवैध हिरासत, पुलिस द्वारा अत्याचार, जबरन वसूली और अन्य इसी तरह के ही अपराध शामिल हैं।
NCRB के डेटा के अनुसार, 2019 में पुलिस हिरासत में कुल 85 लोगों की मौत हुई, जिसके लिए 23 गिरफ्तारियां की गईं थीं।
हालांकि, सिर्फ आठ पुलिस कर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी और मामलों में से कोई भी एक दोषी नहीं ठहराया गया था और सबको क्लीन चिट मिल गई थी।
2018 में पुलिस हिरासत में 70 लोगों की मौत हुई थी। कुल 89 मामले दर्ज किए गए और 40 पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए और 26 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए थे।
2018 में भी किसी भी पुलिसकर्मी को दोषी नहीं ठहराया गया था और सबको आरोपमुक्त कर दिया गया था।
2017 में पुलिस हिरासत में 100 लोग मारे गए थे। कुल 57 पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया गया था और 48 पुलिसकर्मियों के खिलाफ 29 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए थे, जिनमें से एक को बरी कर दिया गया था और मात्र तीन पुलिस कर्मियों को दोषी ठहराया गया था।
2019 में तमिलनाडु से सबसे अधिक पोलिवे हिरासत में 11 मौतें दर्ज की गईं थीं, जबकि 2018 में गुजरात से सबसे अधिक मामले 14 थे और पिछले वर्ष आंध्र प्रदेश में पुलिस हिरासत में मौत के सबसे अधिक 27 मामले दर्ज किए गए थे।
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