निजीकरण को बढ़ावा: सरकार अब 23 सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचनी की तैयारी में

 BY- FIRE TIMES TEAM

भारत में मोदी सरकार निजीकरण को काफी तवज्जो दी रही है। रेलवे से लेकर कई सरकारी कंपनियों को वह निजी हाथों में देना चाहती है। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया है कि वह 23 कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने के लिए प्रयासरत हैं।

वित्त मंत्री ने सोमवार को कहा कि सरकार लगभग 23 सावर्जनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचने में लगी है। मंत्रिमंडल इन उपक्रमों में विनिवेश के प्रस्ताव को पहले ही मंजूर कर चुकी है।

आत्मनिर्भर भारत के पैकेज को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि इसके तहत निजी भागीदारी के लिए सभी क्षेत्रों को खोले जाने का एलान किया था। सही मूल्य को लेकर उन्होंने कहा कि अभी आखिरी फैसला नहीं हुआ है इसलिए वे अभी कुछ नहीं बोल सकती।

सीतारमण ने कहा कि लगभग 22-23 सार्वजनिक उपक्रम हैं जिसे मंत्रिमंडल पहले ही विनिवेश की मंजूरी दे चुका है। उनका इरादा उन कंपनियों के लिए साफ है जिसे मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है।

आपको बता दें कि सरकार सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचकर एक बड़ी पूंजी इकट्ठा करना चाहती है। 2020-21 के लिए मोदी सरकार ने 2.10 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा है।इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये सरकारी कंपनियों को बेचकर तो वहीं 90000 करोड़ रुपए वित्तीय संस्थाओं में हिस्सेदारी बेचकर जुटाने का लक्ष्य है।

कौन-कौन सी कंपनियों को बेचा जाएगा यह अभी वित्त मंत्री ने नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि बेचने के बाद नाम उजागर किये जायेंगे। इन कंपनियों को निजी हाथों बेचने के पीछे का मुख्य उद्देश्य उत्पादन को बढ़ाना है।

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने इस खबर के बाद अपने एक फेसबुक पेज के माध्यम से कई सवाल किए हैं। उन्होंने लिखा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम करने वालों के लिए खुशखबरी है। उनका प्रदर्शन बेहतर होगा और वे प्राइवेट हो सकेंगे।

उन्होंने लिखा आलोचकों को भी अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। रही बात विपक्षी दलों के विरोध की तो उन्हें सुनता कौन है। जिन कर्मचारियों के लिए बोलेंगे वही उनका साथ नहीं देंगे।

 

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