गरीबी नहीं रोक पाई और बिना कोचिंग टॉप कर बन गए आईपीएस अधिकारी

 BY- FIRE TIMES

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। और इसके साथ अगर मेहनत जुड़ जाए तो सफलता निश्चित मिलेगी। एक न एक दिन परिणाम जरूर देखने को मिलेगा। अगर आप के अंदर लगन, आत्मविश्वास है तो निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी।

आज हम एक ऐसी ही कहानी की बात करेंगे। जिसमें गरीबी को मात देते हुए सफलता का मुकाम हासिल किया।  कहानी है एक आईपीएस अधिकारी की जिसने यूपीएससी में 149वीं रैंक पाकर इतिहास रच दिया।

हम बात कर रहे हैं 21 साल की उम्र में आईपीएस बने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के आदर्श शुक्ला की। आदर्श शुक्ला बचपन से ही पढ़ाई में टॉपर रहे हैं। उन्होंने 12वीं की परीक्षा में भी 94 प्रतिशत अंक हासिल किए थे।

आदर्श का बचपन अभाव में बीता लेकिन उनके पिता ने कभी भी घर की समस्या का प्रभाव बच्चों के दिमाक पर नहीं पड़ने दिया। यही कारण है कि आदर्श लगातार मुकाम हासिल करते गए।

आदर्श के पिता राधाकांत बच्चों की पढ़ाई को लेकर बचपन से ही चिंतित थे इसीलिए उन्होंने गांव छोड़कर शहर चले आये। यहां उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में काम करना शुरू किय। शहर में राधाकांत को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। किराये के मकान में रहना पड़ा।

आदर्श की माता जी का नाम गीता शुक्ला है। वह एक गृहणी हैं और उन्होंने घर पर एक बेहतर तालीम दी अपने बच्चों को। पढ़ाई से लेकर सामाजिक रूप से आदर्श के व्यक्तित्व को निखारने में उनकी माता जी का अहम रोल है।

आदर्श की एक बहन भी हैं जिनका नाम स्नेहा है जो कि काफी होनहार हैं। अभी वह वकालत की पढ़ाई कर रही हैं। आदर्श और उनकी बहन बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज रहे हैं। उनकी बहन स्नेहा एलएलएम पूरा करने के बाद अब पीसीएसजे (न्यायपालिका सेवा) की पढ़ाई कर रही हैं।

हमेशा अव्वल रहे पढ़ाई में: आदर्श पढ़ाई में नम्बर एक रहे। उन्होंने पहले हाई स्कूल में टॉप किया फिर इंटर में 94 फीसदी अंक लाये। उनको स्नातक में टॉप के लिए गोल्ड मेडल भी मिला। आदर्श ने लखनऊ के नेशनल पीजी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की है।

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